अजय नदी की उत्पति ३०० मीटर की उचाई से देवघर के दछिण, झारखण्ड से हुआ है। पश्चिम बंगाल में यह नदी चित्तरंजन के सिमजूरी गांव के नजदीक आती है। अजय नदी की कुल लम्बाई लगभग २८८ किलोमीटर है। यह नदी कटवा के नजदीक स्थित भगीरथी नदी से मिल जाती है। इसकी कुल अपवाह प्रणाली क्षेत्रफल ६००० वर्ग किलोमीटर है ।
One day ‘Geography workshop’ organized for students of class X, XI and XII convening by Dr. Rajesh Kumar Mahato in the beautiful campus of N.D. Rashtriya Vidyalaya, Sitarampur on 11/12/2016 with the collaboration with ISDR (Institute for Social Development and Research), Ranchi. There were different types of activities related with practical geographical knowledge and specially design under W.B.B.S.E., W.B.C.H.S.E. and C.B.S.E. based syllabus pattern. This blogging is for Geography lovers.
Monday, February 22, 2021
अजय नदी की जलीय स्थलाकृतियां
जलीय स्थलाकृतियां: बहता हुआ जल द्वारा निर्मित स्थलाकृतियो को जलीय स्थलाकृति कहा जाता है जिनमे जलगर्तिकाये, जलछीप्रिकाये, बालूका स्तर, रिपल्स, तटकटाव, नालिकाये, जलप्रपात एवं अनेको शुक्ष्म जलीय स्थलाकृतियों का निर्माण होता है ।
जलगर्तिकाये: जल गर्तिकाये नदी के किनारों अथवा नितलीय सतह पर एक परिपत्र या बेलनाकार छेद है जो पानी और घर्षण के बल द्वारा उत्पादित है। इसके निर्माण में चट्टानी संधियों एवं जल गतिक्रिया की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। चूकि अजय नदी में ग्रेनाइट जैसे चट्टानों की अधिकता है जिसके कारण यहाँ जल गर्तिकाओ की भरमार है। जैसा की हम देख रहे है कि इस जलगर्तिका में बेसाल्ट चट्टान की संधियों के सहारे जल गर्तिकाओ का निर्माण किया है एवं बहुत सारे चट्टानों में यह बनने की प्रारंभिक अवस्था में है। इन जल गर्तिकाओ में चट्टानी टुकड़े फसे हुए होते है जो दरअसल में जल गर्तिकाओ की गहराई को बढ़ाने में मदद करती है।
अजय नदी में स्थित जल गर्तिकाये
जलछीप्रिकाये: जल प्रवाह की सतह से ऊपर उजागर हुए कुछ चट्टानों के साथ नदी में पाए जाते हैं। इसमें चट्टानों के ऊपर और चारों ओर पानी बहता है, हवा के बुलबुले इसके साथ मिश्रित हो जाते हैं और सतह के कुछ हिस्से को एक सफेद रंग प्राप्त होता है, जिसे "व्हाईटवेटर" कहा जाता है। जलछीप्रिका के नीचे बिस्तर सामग्री अत्यधिक प्रतिरोधी होती है ठोस चट्टानों में बहने वाली बहुत छोटी धाराओं में उनकी लंबाई बहुत अधिक होती है जलछीप्रिकाये जल के वायु प्रवाह के कारण बेहतर पानी की गुणवत्ता वाली होती हैं।
अजय नदी में स्थित जलछीप्रिकाये
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